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समस्या का दूसरा पहलू



 

समस्या का दूसरा पहलू 

 

पिताजी कोई किताब पढ़ने में व्यस्त थे, पर उनका बेटा बार-बार आता और उल्टे सीधे सवाल पूछ कर उन्हें डिस्टर्ब कर देता .

पिता के समझाने और डांटने का भी उस पर कोई असर नहीं पड़ता .

तब उन्होंने सोचा कि अगर बच्चे को किसी और काम में उलझा दिया जाए तो बात बन सकती है Iउन्होंने पास ही पड़ी एक पुरानी किताब उठाई और उसके पन्ने पलटने लगे ,तब उन्हें विश्व मानचित्र छपा दिखा, उन्होंने तेजी से वह पेज फाड़ डाला और बच्चे को बुलाया -देखो यह वर्ल्ड मैप है , अब मैं इसे  कई पार्ट्स में कट कर देता हूं, इन टुकड़ों को फिर से जोड़कर वर्ल्ड मैप प्यार करना होगा

और ऐसा कहते हुए उन्होंने यह काम बेटे को दे दिया I

बेटा तुरंत मेंप बनाने में लग गया और पिता यह सोच कर खुश होने लगी कि अब  आराम से दो-तीन घंटे किताब पढ़ सकेंगे 

लेकिन यह क्या ,अभी 5 मिनट ही बीते थे कि बेटा दौड़ता हुआ आया और बोलायह देखिए पिताजी मैंने मैप तैयार कर लिया है

पिता ने आश्चर्य से देखा Iमैप बिल्कुल सही था I”तुमने इतनी जल्दी मैं कैसे बना  दिया मुश्किल काम था ?”

कहां पापा ,बिल्कुल आसान था ,आपने जो भेज दिया था उसके पिछले हिस्से में एक कार्टून बना था ,मैंने बस वह कार्टून कंप्लीट कर दिया और मैप अपने आप ही तैयार हो गया I”और ऐसा करते हुए वह बाहर खेलने के लिए भाग गया और पिताजी सोचते रह गए I

 

મિત્રો ઘણી વખત જીવનમાં પ્રોબ્લેમ, મુશ્કેલી ,કઠિનાઈ આપણી સામે આવે છે .એ આવે છે ત્યારે આપણ ને એકદમ ભાર લાગે છે.આપણે તેનો એક જ ભાગ જોઈએ છીએ બીજો ભાગ જોઇએ તો કોઈપણ સમસ્યાઆપણે આસાની થી હલ કરી શકીએ છીએ .સમસ્યાની બધી બાજુથી જોવાની ટેવ પાડવી જોઈએ .જેથી કરી આપણે તેની પહોંચી વળીએ .



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